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Keshav Prasad Maurya का राजनैतिक करियर ख़त्म हो जायेगा..?

Ratnesh Mishra
Last updated: March 20, 2022 4:08 pm
Ratnesh Mishra
4 years ago
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केशव प्रसाद मौर्या ( बाये ) सुरेंद्र चौधरी (बिच में )और हिन्दू अभिषेक यादव
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विधानसभा चुनाव में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ( Deputy CM Keshav Prasad Maurya ) की सिराथू से हार के बाद अब हर जुबान पर बस यही चर्चा है कि केशव दोबारा डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं .  सिराथू के परिणाम से हर कोई स्तब्ध रह गया है . भाजपा के दिग्गज नेता माने जाने वाले केशव का भविष्य क्या होगा. इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है. अपने कार्यकाल में उन्होंने प्रयागराज शहर सहित कौशाम्बी के सिराथू में काफी विकास कार्य कराया था .  जिसका फायदा चुनाव में भाजपा को मिला.  हर कोई हैरान है कि आखिर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से जीत कैसे नहीं पाए. 

Contents
  • कौन है पल्लवी पटेल जिन्होंने बीजेपी की लहर में भी केशव प्रसाद को हरा दिया
    • UP Election 2022 : योगी सरकार ने बनाया नया रिकॉर्ड, फिर से भाजपा सरकार
  • सिराथू वोट काउंटिंग के दौरान हुए थे पथराव
  • बीजेपी की जीत की खुशी नहीं मना पाए केशव प्रसाद मौर्य
  • केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन कैसे शुरू हुआ?
    • 8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तरप्रदेश राज्य का पार्टी प्रमुख चुना .  भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है . उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम् भूमिका में देखा गया . और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है .

केशव प्रसाद मौर्या ( बाये ) सुरेंद्र चौधरी (बिच में )और हिन्दू अभिषेक यादव

इनके विपक्ष में सपा से पल्लवी पटेल चुनाव लड़ रही थी .  बता दें कि सपा उम्मीदवार पल्लवी पटेल को 1,06,278 वोट मिले . जबकि केशव प्रसाद मौर्य 98,941 वोट पाए. पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी के सहयोगी अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. शुरुआत से ही पल्लवी पटेल ने केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) पर बढ़त हासिल की . और आखिर में उन्हें ही जीत मिली. केशव प्रसाद मौर्य 2017 में हुए विधान सभा चुनाव में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के वक्त उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष थे.

कौन है पल्लवी पटेल जिन्होंने बीजेपी की लहर में भी केशव प्रसाद को हरा दिया

कृष्णा पटेल और उनकी बेटी पल्लवी पटेल के हाथों में अपना दल (कमेरावादी) की कमान है.  दोनो में कुछ हुए विवाद के बाद अनुप्रिया पटेल और उनके पति को अपना दल से निकाल दिया गया था. बता दें कि पल्लवी पटेल, अपना दल (सोनेलाल) पार्टी की चीफ अनुप्रिया पटेल की सगी बहन हैं.  पल्लवी पटेल और अनुप्रिया पटेल के पिता सोनेलाल पटेल ने अपना दल की स्थापना की थी.  फिर 2009 में सोनेलाल पटेल के निधन के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल ने पार्टी को संभाला.

UP Election 2022 : योगी सरकार ने बनाया नया रिकॉर्ड, फिर से भाजपा सरकार

सिराथू वोट काउंटिंग के दौरान हुए थे पथराव

गिनती होने से पहले मतगणना केंद्र पर विवाद खड़ा हो गया था . इस हार से पहले सिराथू में बड़ा बवाल भी हुआ था.  मतगणना के बीच पत्थरबाजी की घटना के बाद ने पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया था . हवा में फायरिंग के साथ आंसू गैस के गोले भी दागे गए थे.  दरअसल, यहां ईवीएम खराबी की शिकायत हुई थी . और उसी वजह से मतगणना को बीच में ही रोक दिया गया था . बीजेपी एजेंट ने यहां पर फिर काउंटिंग की मांग कर दी थी. जिस वजह से दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई था .

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में मतगणना के दौरान बवाल हुआ था . उपद्रवियों ने पुलिस पर भी ईंट-पत्थर चलाए थे . हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा था.  मतगणना समाप्त होने के बाद इस मसले को लेकर पुलिस अब एक्शन में आ गई है. कौशांबी सदर कोतवाली पुलिस ने समाजवादी पार्टी (सपा) के 400 कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. बता दें कि यहां से केशव प्रसाद मोर्य ने चुनाव लड़ा था, वो सपा से चुनाव हार गए.

बीजेपी की जीत की खुशी नहीं मना पाए केशव प्रसाद मौर्य

यूपी में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत से पार्टी में जहां एक ओर खुशी का माहौल है . तो वहीं दूसरी ओर कुछ बीजेपी नेता ऐसे भी हैं . जो इस खुशी में पूरी तरह शामिल नहीं हो सके हैं.  केशव प्रसाद मौर्य को जिले की अन्य दो सीटों को जिताने की जिम्मेदारी भी सौंपी थी. इतना ही उनके नामांकन के लिए खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सिराथू पहुंचे थे. लेकिन केशव प्रसाद मौर्य न तो अपना घर बचा सके और ना ही अपना गढ़. समाजवादी पार्टी ने कौशांबी जिले में क्लीन स्वीप किया है.  चायल से सपा उम्मीदवार पूजा पाल और मंझनपुर (सुरक्षित) से इंद्रजीत सरोज ने जीत दर्ज की है.  केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) वर्तमान में विधान परिषद सदस्य  हैं .

इस स्थिति में डिप्टी सीएम या कैबिनेट मंत्री बनने की राह में कोई रोड़ा नहीं आ सकता है. हालांकि चुनाव में पराजय के बाद मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विरोधियों के साथ ही पार्टी के भी अंदर सवाल खड़े किए जा सकते हैं. केशव का भविष्य क्या होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन पार्टी में पिछड़े वर्ग का चेहरा बन चुके केशव को नजर अंदाज करना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा .

केशव प्रसाद मौर्य का राजनीतिक जीवन कैसे शुरू हुआ?

केशव प्रसाद मौर्य ( Keshav Prasad Maurya )का जन्म 7 मई सन 1969 में इलाहाबाद के कौशाम्बी जिले के एक छोटे से क्षेत्र सिराथू में एक किसान परिवार में हुआ था. इनका बचपन बहुत कठिन था . और इस वजह से इन्हें चाय और अखबार बेचना पड़ता था  . इनके पिता का नाम श्याम लाल मौर्य और इनकी माता का नाम धनपति देवी मौर्य है. इन्होने इलाहबाद के हिन्दू साहित्य सम्मलेन से हिंदी साहित्य में स्नातक तक की पढाई की है .
इनकी पत्नी का नाम राज कुमारी देवी मौर्य है ,  और इनको तीन संताने हैं . राजनीति के साथ साथ इनका अपना बिजनेस भी है . और ये प्रयागराज में स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल के निर्देशक और पार्टनर हैं . केशव प्रसाद मौर्य हिंदुत्व की राजनीति के लिए मशहूर हैं.

एक लम्बे समय तक विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े रहे . इसके साथ ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे. जिसकी वजह से उनकी राजनैतिक जड़ें मजबूत होती गयीं .  इसके साथ ही इन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया . और साथ ही बीजेपी किसान मोर्चा के पिछड़ी जाति सेल में भी काम किया . लोकसभा चुनाव में लगातार दो हार के बाद भी इनकी सक्रीय राजनीति की शुरुआत जारी रही .
सन 2014 में मोदी की लहर में इनको पहली जीत हासिल हुई .

8 अप्रैल 2016 में भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें उत्तरप्रदेश राज्य का पार्टी प्रमुख चुना .  भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इनका सदैव समर्थन किया है . उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में इन्हें एक बहुत अहम् भूमिका में देखा गया . और इसी भूमिका को देखते हुए इन्हें उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है .

सन 2011 में इन पर इनके तीन साथियों के साथ एक ग़रीब किसान घुलाम गौस अलियास चंद खान की हत्या का आरोप लगा है .  21 मई 2015 में इन्हें बाइज्जत बरी कर दिया गया . और मृतक किसान के बड़े भाई ने कहा की अब वह इस केस को बंद करना चाहते हैं .
इसके साथ 16 मई सन 2014 में इन्होने लोकसभा चुनाव को बहुत बड़े वोटिंग मार्जिन से जीत कर अपनी राजनैतिक ज़मीन मजबूत की।

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मैं VFS Live न्यूज में बतौर सब-एडिटर राजनीती , बॉलीवुड भोजपुरी समेत रिजनल सिनेमा के लिए कार्यरत हूं. मुझे मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े हुए 2 साल का वक्त हो चुका है. इससे पहले मैं बहुत सी News Aggency में काम कर चुका हूं. यहां पर मैंने एंटरटेनमेंट डेस्क डिजिटल के लिए सेवाएं दी है.
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