लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोहर्रम की छुट्टी रद्द करने का आदेश जारी किया है। इस फैसले के पीछे यह मकसद बताया गया है कि यह एक आवश्यक कदम है जिससे शिक्षा के क्षेत्र में देरी न हो और छात्रों को नुकसान न हो।
मोहर्रम की छुट्टी पर योगी सरकार ने यह फैसला लेते हुए कई तरफ़ा राय लिया गया, जहां एक ओर छात्रों के माता-पिता और धार्मिक समुदाय से चिंता की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने छुट्टी रद्द करने का सुझाव दिया।
मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो इस्लामी साल के पहले महीने की शुरुआत करता है और प्रोफेट मुहम्मद के पोते हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद करता है। अभी तक, उत्तर प्रदेश के सभी स्कूल छात्रों और शिक्षकों को इस अवसर पर एक छुट्टी प्रदान करते थे ताकि उन्हें इस दिन को ध्यान में रखने का मौका मिल सके।
हालांकि, शिक्षा गतिविधियों को व्यवस्थित करने और सामान्यतः छात्रों के प्रदर्शन को बढ़ाने के उद्देश्य से, योगी सरकार ने मोहर्रम की छुट्टी को रद्द करने का निर्णय लिया है। सरकार मानती है कि स्कूलों में छुट्टियों की संख्या कम करने से शैक्षिक उत्पादकता में सुधार होगा और सामान्यतः छात्रों के प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सरकार के इस फैसले का समर्थन करने वाले विचारवंत लोग यह दावा करते हैं कि यह सभी धार्मिक अवसरों को समान रूप से देखने और किसी सामुदायिक समुदाय के पक्ष में न झुकने का प्रयास है। वे यह दर्शाते हैं कि यह कद्रशः धार्मिक सामूहिकता के लिए समर्थन के सिद्धांत को बढ़ावा देता है और किसी विशेष धार्मिक समुदाय की अनुकरणीयता का संकेत नहीं करता।
इसके विपरीत, विरोधियों को सामर्थ्य वाले दावे से देखने वाले व्यक्ति यह निर्णय सामाजिक समानता पर एक संभावित खतरे के रूप में देखते हैं, जिससे विभिन्न समुदायों के मुस्लिम छात्रों और उनके परिवारों की भावना हैं।